बकलोल बबुआ ।(a Funny Bihari Conversation) Read Count : 64

Category : Poems

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रहिले एगो बुरबक जामल,
सगरे दुनिया घुमल घामल ।
रोटी देखस भात बतावस,
14 दूना 7 बतावस ।
लोग कहे बोका बौवंश,
तनिको नाही बाप के अंश ।

एक दिन बाबूजी सोचत रहिले,
तबहे आके बबुआ कहिले ।
बाबूजी एक बात बताई,
का हम नानी के घर जाई ।
बाबूजी कहिले "जाये ला त ना रोकब
बस  एक ही बतिया के टोकब,
उल्टा सीधा कुछ ना  कहिया
हा  या ना मे उत्तर दिहा ।"

बउआ जी  तैयारी भइले,
नानी  के  घरे उ गईले ।
हुवा  पहुँचले त नानी पूछली,
बउवा  ठीक बारा?
बउवा  कहलन,
हा  नानी ।
नानी  पूछली,
पापा  ठीक बारन?
बउवा  कहलन,
ना  नानी,
नानी -का  उनकर तबीयत खराब  बा?
बउवा -हा  नानी,
नानी -का  उनकारा बोखार भईल बा?
बउवा -ना नानी,
नानी  त का उनकारा  कोनो बीमारी  भईल  बा?
बउवा -हा  नानी,
नानी - का उनकारा टीबी भईल  बा?
बउवा -ना  नानी,
नानी -(बेचैनी मे ) त का उनकारा  कैंसर भईल बा?
बउवा -हा  नानी।

(बात  सुनके )
घर  मे रोवन  पिटन  होवे लागल,
सब  कोई बाबूजी के  देखे भागल ।
हुवा  पहुँच  के पता लागल,
बउवा  बारन बकलोल धांगल ।

बउवा  भी  पीछे पीछे अईले,
बाबूजी से भेंट करें गईले।
उनका  देख के,
बाबूजी कहिले ।

जा  ए बोका दोबर,
कर  ही देला  तू,
सब  गुड़ गोबर....


Its a funny story of a dumb guy and his conversation to his grandmother which later turn into a blunder.....

Comments

  • i love to write.. right or wrong i don't care.. there might be plenty of errors but now i am just practicing to improve my self. one day definitely you will read perfect artwork...

    Jan 19, 2021

  • Harmony Vic

    Harmony Vic

    I find it very cool that you are fluent in two languages, can I get this translated?

    Jan 21, 2021

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