बकलोल बबुआ ।(a Funny Bihari Conversation)
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Category : Poems
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रहिले एगो बुरबक जामल,
सगरे दुनिया घुमल घामल ।
रोटी देखस भात बतावस,
14 दूना 7 बतावस ।
लोग कहे बोका बौवंश,
तनिको नाही बाप के अंश ।
एक दिन बाबूजी सोचत रहिले,
तबहे आके बबुआ कहिले ।
बाबूजी एक बात बताई,
का हम नानी के घर जाई ।
बाबूजी कहिले "जाये ला त ना रोकब
बस एक ही बतिया के टोकब,
उल्टा सीधा कुछ ना कहिया
हा या ना मे उत्तर दिहा ।"
बउआ जी तैयारी भइले,
नानी के घरे उ गईले ।
हुवा पहुँचले त नानी पूछली,
बउवा ठीक बारा?
बउवा कहलन,
हा नानी ।
नानी पूछली,
पापा ठीक बारन?
बउवा कहलन,
ना नानी,
नानी -का उनकर तबीयत खराब बा?
बउवा -हा नानी,
नानी -का उनकारा बोखार भईल बा?
बउवा -ना नानी,
नानी त का उनकारा कोनो बीमारी भईल बा?
बउवा -हा नानी,
नानी - का उनकारा टीबी भईल बा?
बउवा -ना नानी,
नानी -(बेचैनी मे ) त का उनकारा कैंसर भईल बा?
बउवा -हा नानी।
(बात सुनके )
घर मे रोवन पिटन होवे लागल,
सब कोई बाबूजी के देखे भागल ।
हुवा पहुँच के पता लागल,
बउवा बारन बकलोल धांगल ।
बउवा भी पीछे पीछे अईले,
बाबूजी से भेंट करें गईले।
उनका देख के,
बाबूजी कहिले ।
जा ए बोका दोबर,
कर ही देला तू,
सब गुड़ गोबर....
Its a funny story of a dumb guy and his conversation to his grandmother which later turn into a blunder.....