Category : Books-Fiction
Sub Category : Fantasy
"स्पिन गेंदबाजी मुख्यतः ऑफ स्पिन और लेग स्पिन के रूप में होती है, ऑफ स्पिनर की गेंदें दाएं हाथ के बल्लेबाज के लिए अंदर तो वहीं बाएं हाथ के बल्लेबाज के लिए बाहर की तरफ जाती हैं, ऑफ स्पिन गेंदबाजी के लिए बीच की उंगुली को प्रयोग में लाया जाता है... लेग स्पिन क्रिकेट के खेल में स्पिन गेंदबाजी का एक प्रकार है, एक लेग स्पिनर दाएं हाथ से कलाई घुमाकर गेंद डालता है जिससे गेंद पड़ने के बाद पिच के दाहिनी ओर से बाई ओर को घूम जाती है, जब गेंद बाउंस करती है, तो स्पिन कि वजह से गेंद तेज़ी से दाएं से बाएं को जाती है, यानि कि दाएं हाथ के बल्लेबाज के लिए पैर की ओर से दूर...बाकी सभी स्पिन गेंदबाजों कि तरह एक लेग स्पिन गेंदबाज़ भी तेज़ गेंदबाजों से कम गति पर गेंद फैंकता है... अब देखो फास्ट बॉलर के पास स्पीड होती है जिससे वह बैट्समैन को रन बनाने से रोक सकता है और आउट कर सकता है, पर स्पिनर के पास गति नहीं होती है इसलिए उसे अपनी हर बॉल अलग अलग फेंकनी होती है, स्पिन गेंदबाजी इस बात पर निर्भर करती है कि आप बैट्समैन को कितना अच्छा चकमा दे सकते हैं... अरे अब तक देश के महान लेग स्पिनर निखिल दुबे उठे नहीं क्या... अरे भईया उठ जाओ फील्ड पर आना है ", निखिल की नींद टूटती है, वह सपने में अपने क्रिकेट कोच जोसेफ सर को स्पिन बोलिंग की बारीकियों को समझाते हुए देख रहा था कि अचानक जोसफ सर ने उसे नींद से जागने के लिए टोक दिया। निखिल बचपन से ही मन में लेग स्पिनर बनने की चाहत रखता है, वह शेन वॉर्न का बहुत बड़ा फैन है और जल्द ही अंडर 19 वर्ल्ड कप खेलने जा रहा है भारत देश की तरफ़ से, वह यहाँ तक कैसे पहुंचा इस पर ही हमारी कहानी केन्द्रित है।
जितना मज़ेदार निखिल है उससे भी ज़्यादा मज़ेदार निखिल का परिवार और उसका पड़ोस है। निखिल एक माध्यम वर्गीय परिवार का लड़का है, जिसके पिताजी श्री अवतार कृष्ण दुबे बड़े बाबू की हैसियत से बिजली विभाग में कार्यरत हैं, उसकी माता जी श्रीमती कलावती दुबे एक कुशल गृहिणी हैं तथा साथ ही संगीत प्रेमी भी हैं और लता मंगेशकर की बहुत बड़ी फैन हैं यही वजह थी कि उन्होंने अपनी बेटी तथा निखिल की छोटी बहन का नाम भी "लता"
रख दिया।
निखिल के साथ साथ उसके क्रिकेट कोच जोसेफ सर भी काफ़ी मज़ेदार और रंगीले किस्म के इंसान हैं, वह अपने ज़िंदा दिल होने के लिए जाने जाते हैं और निखिल के पिताजी के बचपन के मित्र हैं, उनके साथ एक ही स्कूल में पढ़ चुके हैं, कुछ मामलों में उनकी निखिल के पिताजी से बिलकुल भी नहीं बनती है और उन्ही में एक है क्रिकेट, जहाँ जोसफ सर निखिल को टीम इंडिया के लिए खेलते हुए देखना चाहते हैं तो वहीं निखिल के पिताजी को क्रिकेट में कोई भविष्य नहीं दिखता है। आज जो निखिल क्रिकेट खेल रहा है ये उसके जोसफ अंकल की ही देन है।
वाराणसी कि गलियों की ये कहानी आप सबके लिए एक प्रेरणा स्रोत है क्यूँकि सपने अगर सच्चे मन और लगन के साथ देखे जाते हैं तो साकार होते हैं, कुछ पाने के लिए कुछ खोना भी पड़ता है, किस्मत के सितारे उसी के बुलंद होते हैं जो उन पर मेहनत करता है, जो मुश्किल समय में भी हौसला नहीं हारता है कामयाबी उसी के सर चढ़ कर बोलती है, सफलता पाने के लिए सोच, जुनून और विश्वास की जरूरत होती है और विश्वास उस मुर्गे की तरह होता हे, जो सुबह होने से पहले ही अंधेरे में रोशनी का अनुभव करके बाद देने लगता है। ये कहानी है हर उस व्यक्ति को जो मुश्किल वक्त में भी हिम्मत के साथ आगे बढ़ कर अपनी मंज़िल को पा चुके हैं या फिर पाना चाहते हैं। सपने तो हर कोई देखता है पर उन्हें पूरा करने का साहस किसी किसी में होता है।
ये कहानी हर उस सफ़ल क्रिकेटर की है जिसने कभी निखिल जैसी ही परेशानियों और कठिनाइयों का सामना किया होगा, तब जाकर आज सफलता की ऊंचाईयों को छू रहे हैं। क्रिकेट हमारे देश में एक धर्म की तरह है और कुछ क्रिकेटरों को भगवान के रूप में देखा जाता है उदाहरण के लिए कपिल देव, सुनिल गावस्कर, अनिल कुंबले, सचिन तेंदुलकर इत्यादि। ठीक उसी तरह निखिल के भी अपने पूजनीय भगवान हैं ऑस्ट्रेलिया के जादूगर लेग ब्रेक गेंदबाज शेन वॉर्न, जिन्हें अब तक का सबसे सफल लेग स्पिन बोलर माना जाता रहा है, कितने ही युवा क्रिकेटर उनके स्पिन गेंदबाजी की नकल करते दिखते हैं। शेन कीथ वॉर्न का जन्म: 13 सितंबर 1969 को हुआ था, वह ऑस्ट्रेलिया के पूर्व क्रिकेट खिलाड़ी है जिन्हें व्यापक रूप से खेल के इतिहास में सबसे महान गेंदबाजों में से एक माना जाता है। वह एकमात्र खिलाड़ी है जिन्होंने 3000+ टेस्ट रन बनाए लेकिन कभी शतक नहीं जड़ा। उनका करियर मैदान के बाहर भी विवादों से ग्रस्त रहा। फिर भी उन्होंने इसका असर कभी अपने खेल पर नहीं पड़ने दिया, बतौर क्रिकेटर उन्होंने कितने बोलर्स की मदद की उन्हें उचित सलाह देकर, जिसके परिणाम स्वरूप उन गेंदबाजों ने अपने एक्शन और स्पीड में सुधार किया तथा सफ़ल रहे। उदाहरण के लिए अनिल कुंबले(भारत) , मुरलीधरन (श्रीलंका) इत्यादि। ये शेन वॉर्न की सलाह का ही असर था कि अनिल कुंबले ने एक टेस्ट मैच में दस विकेट चटकाने का रेकॉर्ड अपने नाम दर्ज कर रखा है, ऐसे ही कई स्पिन गेंदबाजों की मदद उन्होंने की है।
निखिल रोज़ की तरह तुरंत अपने बिस्तर से उठता है और फ्रेश होने के लिए बाथरूम की तरफ़ भागता है, उसने अपने दिनचर्या के कार्यों का एक बढियां टाईम टेबल बना लिया है, ठीक दस मिनट ही रोज़ बाथरूम में व्यतीत करता है, फिर तैयार होकर अपने क्रिकेट किट और साइकिल के साथ ग्राउंड पर नेट प्रैक्टिस के लिए पहुंच जाता है। अब तो ये रोज़ का नियम हो गया है, सुबह जोसफ सर ही सपने में आकर उठाते हैं और नेट प्रैक्टिस के लिए बुलाते हैं। निखिल एक सफल युवा लेग स्पिनर है, उसने पिछले कई मैचों में अच्छे औसत से विकेट लिए हैं, वह अपना ज़्यादातर समय गेंद को स्पिन करने में बिताता है। फील्ड पर प्रैक्टिस करने के अलावा भी वह पुराने मैचों के विडियो मोबाइल में देखता रहता है जिससे अपनी तकनीक में सुधार कर सके और हर बार कुछ नया या बेहतर कर के दिखा सके।
To be continued...
Coming soon on
Web series.
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