
तुम्हारी बस्ती में
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Category : Poems
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वो तो करने आएंगे आघात तुम्हारी बस्ती में ।हाथ जोड़कर बोलेंगे कुछ बात तुम्हारी बस्ती में ।जात पात सब भूल भुलाकर तुमको गले लगाएंगे ,बेचेंगे वो खड़े खड़े जज्बात तुम्हारी बस्ती में ।दोहराएंगे नये नये अध्याय तुम्हारी बस्ती में ।बड़े बुजुर्गों को भी देंगे राय तुम्हारी बस्ती में ।कुछ पूछोगे पिघल जाएंगे, हँसकर तुमसे लिपट जाएंगे ,फिर बोलेंगे बहुत हुआ अन्याय तुम्हारी बस्ती में ।खुद का करने आएंगे उद्धार तुम्हारी बस्ती में ।जीतेंगे तो भड़केंगे अंगार तुम्हारी बस्ती में ।सोच समझकर अपने मत का करना तुम उपयोग ,वरना ,खुल जाएगा गुंडों का व्यापार तुम्हारी बस्ती में ।✍ धीरेन्द्र पांचाल
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