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Category : Poems

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बिगड़े  ना  बोल नाही अइसे दबेरा ।
मोदी जी आँख तनी हमनी पे फेरा ।

हमरा  के  चाही  नाही  मेवा मलाई ।
नोकरी  के आस प्यास देता बुझाई ।
जिनगी के खोल जनि अइसे उकेरा ।
मोदी जी आँख तनी हमनी पे फेरा ।

बीतता  उमिर  अब  पाकता डाढ़ी ।
रोईं  अकेले  बन्द  कइके  केवाड़ी ।
नइया उमिरिया  के मारे हिलकोरा ।
मोदी जी आँख तनी हमनी पे फेरा ।

मुहर हव लाग गइल देहियाँ पे भारी ।
लम्पट  आवारा  सभे  बुझे  अनारी ।
जुआ ना दारू नाही गांजा  क डेरा ।
मोदी जी आँख तनी हमनी पे फेरा ।

रोटी  ना  भात  रात कइसे बिताईं ।
छोटकी  बेमार बिया कइसे सुताईं ।
गऊवां  के  लोग कहें हम्मे लखेरा ।
मोदी जी आँख तनी हमनी पे फेरा ।

माई   के   सस्ता   दवाई   उधारी ।
ओहु पे चल रहल रउआ के आरी ।
मछरी  के  अस  कस  नाहीं  दरेरा ।
मोदी जी आँख तनी हमनी पे फेरा ।
             
        ✍ धीरेन्द्र पांचाल

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