मत पूछो Read Count : 158

Category : Poems

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कितना डिजिटल दौर हुआ है मत पूछो ।
2G  चारा  कोल  हुआ  है  मत  पूछो  ।
कहते हैं बस चुप रह कर के देखो तुम ,
कैसे  शाही  कौर  हुआ  है  मत  पूछो  ।

पीपल  में  क्यों  बौर  हुआ  है मत पूछो ।
गुंडों  का  क्यों  शोर  हुआ  है मत पूछो ।
जेलों  में  पकवान  कहाँ  से  जाते  हैं ,
कौन किसका सिरमौर हुआ है मत पूछो ।

भाषण में मौलिकता कितनी मत पूछो ।
जीवन की सार्थकता कितनी मत पूछो ।
घूम  रहे  हैं  दिन  भर  सूट  सफारी  में ,
फटा  जेब  क्यों  नंदू  का है  मत पूछो ।

आँगन का सरदार कहाँ है मत पूछो ।
कल का चौकीदार कहाँ है मत पूछो ।
झुलस  रहा  हूँ सपनों की चिंगारी से ,
दीपक क्यों गद्दार हुआ है मत पूछो ।

कैसा ये व्यापार हुआ है मत पूछो ।
मतदाता बेकार हुआ है मत पूछो ।
छीन लिए सब रोटी अपने हाथों से ,
यहाँ रोज इतवार हुआ है मत पूछो ।

✍ धीरेन्द्र पांचाल

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