
क्या बजाएं संख जब से%E
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Category : Poems
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फिक्स हैं सब बड़े जिनके हांथ हैं ।मिक्स हैं जो खड़े मेरे साथ हैं ।।क्या बजाएं संख जब सेना सिखंडी ।कौन लेगा धान जब सड़ती हो मंडी ।।चलो अपने काम पर जो कर रहे थे ।कादरों में जोश किसका भर रहे थे ।।जिन्हें खुद का विलय होना भाव्य है।उन्हें आश्रय की प्रशंसा काव्य है।।जब बनाए कारवां हो स्याल का ।युद्ध छोड़ो ध्यान लाओ ढाल का ।।खुद बचो क्योंकि तुम्ही अब लक्ष्य हो ।भुखमरी में भुखमरों के भक्ष्य हो ।।@सुजान तिवारी"समर्थ"
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