क्या बजाएं संख जब से%E Read Count : 75

Category : Poems

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फिक्स हैं सब बड़े जिनके हांथ हैं ।
मिक्स हैं जो खड़े मेरे साथ हैं ।।

क्या बजाएं संख जब सेना सिखंडी ।
कौन लेगा धान जब सड़ती हो मंडी ।।

चलो अपने काम पर जो कर रहे थे ।
कादरों में जोश किसका भर रहे थे ।।

जिन्हें खुद का विलय होना भाव्य है।
उन्हें आश्रय की प्रशंसा काव्य है।।

जब बनाए कारवां हो स्याल का ।
युद्ध छोड़ो ध्यान लाओ ढाल का ।।

खुद बचो क्योंकि तुम्ही अब लक्ष्य हो ।
भुखमरी में भुखमरों के भक्ष्य हो ।।

@सुजान तिवारी"समर्थ"

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