राणा का शौर्य
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Category : Poems
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अकबर हुआ दुलारों में ।हैं राणा खड़े क़तारों में ।हम पढ़ते हैं बाज़ारों में ।कुछ बिके हुए अख़बारों में ।ये जाहिल हमें सिखाते हैं ।शक्ति का भान कराते हैं ।अकबर महान बताते हैं ।राणा का शौर्य छिपाते हैं ।कुछ मातृभूमि कोहिनूर हुए ।जो मेवाड़ी शमशिर हुए ।वो रण में जब गम्भीर हुए ।तब धरा तुष्ट बलबीर हुए ।अरियों की सेना काँप गई ।जब राणा शक्ति भाँप गई ।भाले की ताक़त नाप गई ।अरि गर्दन भी तब हाँफ गई ।कुछ दो धारी तलवारों में ।था चेतक उन हथियारों में ।वो जलता था प्रतिकारों में ।उन मेवाड़ी अधिकारों में ।हाथ जोड़ यमदुत खड़ा था ।दृश्य देख अभिभूत पड़ा था ।मेवाड़ी बन ढाल लड़ा था ।चेतक बनकर काल खड़ा था ।राजपूताना शमशिरों का ,जब पूरा प्रतिकार हुआ ।तब तब भारत की डेहरी पर ,भगवा का अधिकार हुआ ।✍🏻 धीरेन्द्र पांचाल
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