
इश्क़ करना नहीं
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Category : Poems
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इश्क पर तुम किताबें लिखे जा रहे हो ।मशवरा है मेरा इश्क करना नहीं ।दर्द कागज पे अपने लिखे जा रहे हो ।मशवरा है मेरा दर्द कहना नहीं ।मुस्कुराने की उनकी अदब देखिए तो ।देखकर यूँ ही खुद से फिसलना नहीं ।लाख कह लें तुम्हें , तुम हो मेरे लिए ।मुस्कुराकर कभी सर झुकाना नहीं ।चाँद तारों की बातें वो बेशक करें ।अपने अंजुली पे सूरज उठाना नहीं ।हमसफ़र हैं वो बस कुछ सफर के लिए ।हर सफर अपने दिल को जलाना नहीं ।बह रही है हवा मौसमी चारों ओर ।इन हवा में दुपट्टा उड़ाना नहीं ।हैं फिसलती निगाहें जमीं पे यहाँ ।पांव कीचड़ से अपने सजाना नहीं ।जब भी बारिश की बूंदे भींगाए तुम्हें ।रो कर आँखों का पानी छिपाना नहीं ।हो मोहब्बत तनिक इस धरा से तुम्हें ।कड़कड़ाती बिजलियाँ गिराना नहीं ।भेजता हूँ बता क्या रजा है तेरी ।चिट्ठियों का भी अब तो जमाना नहीं ।तोड़ दो तुम भले उस कलम की जुबां ।कोरे कागज पे गुस्सा दिखाना नहीं ।इश्क पर तुम किताबें लिखे जा रहे हो ।मशवरा है मेरा इश्क करना नहीं ।✍ धीरेन्द्र पांचाल

