
आँखे
Read Count : 197
Category : Poems
Sub Category : N/A
शीशे सी है यहाँ सबकी आँखेबता देती हैं उनकी हर सोच हमारे बारे में ,तुम्हारी आँखों में ना कोई शीशा हैना ही कोई नशा हैं,फूलो की पंखुड़ियों में लिप्टीआकर्षक एक मुस्कान हैं,मेरे सफर का जैसे समंदर के किनारेअब विश्राम हैं ।