नींद Read Count : 90

Category : Poems

Sub Category : N/A
हमारी नींदे उड़ाके
वे चैन से सो रहे है l
हा, मेरे सपने 
निंदो में खो रहे है।
मासूम से दिल की
थी अभिलाषा
हमेशा साथ रहने की,
आया तूफान;
हा,शायद बारीश भी,
ले गई सपने सारे;
वही, हमेशा साथ रहने की।
अब वक्त है, काफ़ी,
मेरे सोने को;
मुझे मत जगाओ
सपनो में खोने दो।

Comments

  • No Comments
Log Out?

Are you sure you want to log out?