
गुमशुदा
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Category : Poems
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लगता है चांदनी चांद से ऐंठी हैखामोशी भी चुपचाप बैठी है।शोर सारा रात की काली चादरमें लिपटा पड़ा है,लफ़्ज़ों ने, मेरे मन से कुछऐसी बात कह दी है।ये आंखे अब कुछ न भी देखेंतो क्या फर्क पड़ता हैनिंदो ने मुझसे ऐसी करवट ली है।रात जितनी गहरी होती हैहोने दो,ख्वाबों ने मेरे अभीकहा दस्तक दी है!
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