गुमशुदा Read Count : 117

Category : Poems

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लगता है चांदनी चांद से ऐंठी है
खामोशी भी चुपचाप बैठी है।
शोर सारा रात की काली चादर
में लिपटा पड़ा है,
लफ़्ज़ों ने, मेरे मन से कुछ
ऐसी बात कह दी है।
ये आंखे अब कुछ न भी देखें 
तो क्या फर्क पड़ता है
निंदो ने मुझसे ऐसी करवट ली है।
रात जितनी गहरी होती है
होने दो,
ख्वाबों ने मेरे अभी 
कहा दस्तक दी है!





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