
एहसास
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Category : Poems
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वो वक़्त और एहसास कितनी अजीब सी थी ।।
हर अजनबियों के लब्ज़ों से सुना रहा था,
लोग उसे ऑखों भर के देखते हैं ।
ये सुनक हर एक लम्हा,
ख्वाब की तरह हो रही थी ।
वो वक़्त और एहसास कितनी अजीब सी थी ।।
ये सोचकर कि, वो फूल कितनी खूबसूरत होगी ।
सोचा , जरा उस इश्क के शहर में ठहर के देख ले ।
इतनें मे ही ,कोई फिर से याद दिलाया ,
उनके बोलने से फूल झङते हैं ।
दिल ने फिर से कहा ,तो चलें उस बगीचे में
जहाँ फूलों के बीचों बीच भँवरे मंडराता है ।
जरा हम भी तो खुशबू का आनंद ले ।
वो वक़्त और एहसास कितनी अजीब सी थी ।।
हाँ वो वक़्त और एहसास अजीब सी थी ।
खुद को ज्ञात नहीं,कब और कैसे वो खूबसूरत एहसास
चाहत और प्यार में बदल गया ।
जैसे बिन मौसम बारिश हो गई ।
वो वक़्त और एहसास कितनी अजीब सी थी ।।
सारे,रस्मे, कसमे,वादे और जुनून
यूहीं गुजर रही थी ।
हाँ जिंदगी रंगीन सी हो गयी थी ।
हाँ वो वक़्त और एहसास अजीब सी हो गयी थी ।
पता नहीं कैसे अचानक सारे ख्वाब ,
और खुसिया ऑखों से ओझल हो गई ।
मानों पैरों तले जमीन खिसक गयी ।
हाँ वो वक़्त और एहसास अजीब सी होने लगी थी ।।
वाह ! किसी ने क्या खुब कहा हैं ।
उन बारिशों से दोस्ती अच्छी नहीं,
जो रूप मोड़ जाती हैं ।
"फराज"
कच्ची तेरी मकान हैं ।
हाँ वो वक़्त और एहसास अजीब सी थी ।
हाँ वो इश्क भी अजीब एहसास थी ।
उस इश्क की महफ़िल में लाखों
मोहब्बत करने वाले मिलेंगे ।
पर वक़्त साथ ना हो तो,
लाखों की भिड़ में भी खुद को अकेला पाओगे ।
हाँ ये वक़्त और एहसास का अजीब सचाई हैं ।
जो खुद से भी मुँह न मोड़ पाओगे ।
किसी -किसी के लिए वो वक़्त ,
और एहसास कुछ अलग सी होती हैं ।
कातिल के चेहरे पर कितनी मासूमियत होती हैं ।
किसी का दिल कत्ल कर जाते ,
और उसे कभी सज़ा भी नहीं होती ।
यही सोच ही रहे थे कि शायद
इसके लिए भी कोई मुकदमा
और कानून होती ।शीघ्र ही नींद से ऑंखें खुल गई ।
तो पता चला कि वो तो एक सपना था ।
अब हम होशोहवास में है ।
By
@Cinematographer
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