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Title 009
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Category : Articles
Sub Category : Relationships
*शीर्षक - तन्हाई की बात*तूने तमाशा भी कई बार बनाया है मेरा,हर बार ना समझ समझकर मैने तुझे प्यार किया।लोगों ने भी तमाशा मेरा सरे बाज़ार किया,तेरी इज्जत की खातिर मैने वो तमाशा भी नज़र अंदाज़ किया।में आज भी तेरी चाहत को पाने की राह देख रहा हूं,कभी तो आएगी तू घर अपने ये उम्मीद लिए जी रहा हूं!घर बनाकर सामने तेरे घर के,दर व दीवार को अरसे से देख रहा हूं।मुझे उम्मीद है तेरे आने की आज भी,बस इसी उम्मीद के सहारे जी रहा हूं आज भी।ज़िन्दगी अधूरी हो गई है तेरे जाने के बाद,मेरी बरसों की इबादत को पूरी करने तो आ!सबकुछ अता किया है रब ने तेरे जाने के बाद,क्या सामझू मैं रब को मुझसे प्यार है या नफरतअब कुछ भी समझ आता नहीं तेरे जाने के बाद।तुझे मेरा होने भी नहीं देता, और मुझे तेरा इश्क़ सोने भी नहीं देतातेरी याद को मेरे दिल से निकलने भी नहीं देता और मुझे मरने भी नहीं देता।अजीब सा हाल होता है मेरा तुझे सोचकर,डर भी लगता है मै मस्ताना ना हो जाऊ तुझे सोचकर!लोग मुझे देखकर हंसने भी लगे है दीवाना समझकर,शायद उन्हें जख्मी दिल का एहसास किसी ने करता होता दिल तोड़कर।मेरे दिल को बहुत देर से ये समझ आया,मै भटक गया हूं सही राह से अब ये समझ आया।ठोकर खाकर मुझे तुझसे मेरे रब से ये राह मिली है,इबादत तेरी नहीं रब की करने से जन्नत मिलती है।❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️#ArshadMirzahttp://m.facebook.com/ArshadMirza786❤👇Subscribe👇❤https://www.youtube.com/c/ArshadMirzaPoetry