कुछ चीज़ें पत्थर की स%2
Read Count : 143
Category : Poems
Sub Category : N/A
कुछ चीज़ें पत्थर की सही,अच्छी तो है ना ।
कुछ लोगों की ज़िंदगी न सही ज़िन्दा तो है ना ।
टूटा हुआ दिल हो या कोई पत्थर ही सही ,
आरज़ू है , लोगों के तोड़ने के काम आएगा ।
सड़क के किसी कोने में बैठा बिखारी और एक मुस्कुराता हुआ बच्चा दोनों को देख इस दिल को स्कून सा मिलता है ।
मंदिर मे उस मूर्ति का होना , एहसास है वो मूर्ति पत्थर की सही ज़िन्दा इंसानो से बेहतर तो है ना ।
कुछ चीज़ें पत्थर की सही,अच्छी तो है ना।
चेहरे की मुस्कान हो या लबों की खामोशी ही सही ,
रहने के लिए आशियाँ हो या झोंपड़पट्टी ही सही ,
स्कून है दिल को कुछ न सही कुछ तो है ना ।
कुछ चीज़ें पत्थर की सही,अच्छी तो है ना।
किसी की याद मे आंख से छलकता हुआ वो आँसू,
या फिर किसी की याद में आंखों का छलकना दोनो में फर्क तो है ना।कुछ चीज़ें पत्थर की सही,अच्छी तो है ना।
किसी के पास बेशुमार दौलत का होना ,किसी के पास दो वक़्त की रोटी ही न सही,किसी के पास ज़िन्दगी की तमाम खुशियां किसी के आंखों की वो नमी ही सही ,माना यहाँ कुछ लोगों की ज़िंदगी न सही फिर स्कून है दिल को वो ज़िन्दा तो है ना ।माना यहाँ कुछ चीजें पत्थर की है , वो पत्थर ख़ुदा ही सही ,कुछ चीज़ें पत्थर की सही,अच्छी तो है ना।
अगर इंसान -इंसान की मदद करता, तो मंदिर में वो पत्थर की मूर्ति ना होती ।फिर भी स्कून है इस दिल को इंसानो में इंसानियत ना सही ,पत्थर में खुदा की बन्दगी तो है ना ।
कुछ चीज़ें पत्थर की सही,अच्छी तो है ना।