#शाम
Read Count : 140
Category : Poems
Sub Category : N/A
कभी देखा है बादलों को किसी शाम को,
हसीन बनाते हुए........
चलो पूछते हैं आसमान से आज ये,
अलग सी रंगत क्यों है?
जरा आसमां तू ये बता................
ये बादलों की चादर ओढ़ कर तू आज की शाम,
किसके नाम करना चाहता है,
जल्दी बता हुजूम शायरों और आशिकों का,
तुझे बेसब्री से ताक रहा है....
तेरे जवाब के इंतजार में ये हुजूम
जाम, कलम और दिल लिए बैठा है........
हमें मालूम है तू बेसब्र नहीं पर बड़ा बेबाक है,
गरजते ,कड़कते ,बरसते देखा है तुझे ,
कयामत की रातों में...........
अब हौले से बता दे तेरी इस रंगत का राज़ क्या है,
यह कौन सा है शाम का सुरूर है......
जिस पर तू भी फिदा है???#मानस।।