KAMLAPATI
Read Count : 113
Category : Stories
Sub Category : Historical Fiction
हमारा ऐक शेहर हुआ करता था जो पहले कभी गुलाम नही हुआ हुकूमत ऐसी जिसके निशान आज भी बड़े छोटे तलाब तलैये ,राह पगदंडी , किले जो अब तबाह कर दिऐ गऐ ॥
Their was a kingdom which was not yet a slave , ruling was such as their is still the fingerprint as big and small lakes , road map and forts which are now distroyed .
हम अधामिर्क लोग हॅ सभी एक क्योकी धम् ना होने की वजहा से सब ऐक हे , पड़ोस रज्या मे मुस्लिम सलत्नत हे जो हमारे मित्र भी हुऐ ।
We are unreligious though we are one because of no discrimination , In neigbhour their is muslim kindom and they are our friend .
सब कुछ ठीक चल रहा था कि एक दिन मेरे ही भतिजे ने राजा को मोत के घाट उतार दिआ , जो हमारी हुकूमत लेना चहता था पर ऐसा हुआ नही । मैने अपने पड़ोस राजा की सहायता से उसे मरवा दिआ और खुद अपने दूसरे किले रहने चली गई ।
Everything was going as usual and one day my nephew killed the king who somehow wants the kingdom and plan accordingly but this is not happened as i called the nearby king to kill him and i went to my another fort .
मेने अपने रज्या का हिस्सा पडोस के राजा को दिआ जिसने इस शेहर को और भी सुंदर बना दिआ ।
I gave some part of my kingdom to neighbour king and he has now added more beauty to place .
यह शेहर अब भोपाल कहलाया जाता है । जो मेरे पति भुपाल शाह सल्लाम के नाम पे है , और मै कमलापति , यह गोंडवाना सम्ररज्या था ।
This place is now called as Bhopal which is named after my husband Bhupal Shah Sallam and i am Kamlapati , this kingdom was Gondwana .