वक्तकी आवाज सुनो Read Count : 129

Category : Songs

Sub Category : R&B/Soul
वक्त की आवाज सुनो
वक्त है संभल जाओ
वक्त ही कह रहा है चल संभल यहाँ से  । 
चारों तरफ़ उठ रही है मज़हब की दीवारें
सिनेमें उतर रही है यह बनके तलवारे
ये कैसा समा आ रहा, कौन ये ला रहा
जीवनके इस जहाँ से। 
वतन के हर तरफ ये आग लगी है
चुनाव के मौसम ये जागने लगी है
राजनीति के पेडको आ रहे है फल, क्या होगा कल
चलते चलते राहों से    । 
बेगुनाहों की जान यहाँ चली जाती है
अॉखों में पानी, रुलाई आती नही है
ये कैसे है सितमगर, दिल नही क्या इनके अंदर 
कैसे भटके है राहों से    । 
कुछ तो खयाल कर उन फुलों का, कलियों का
इक बार नजर डाल, क्या हाल है गलियों का
कौन यहाँ हस रहा, कौन यहाँ फस रहा
जान ले अपनी आहों से  । 
दिखाई दे रही चेहरोंपे भड़कती आग
कही भड़क रहा शोला, कही मौत का राग
कौन यहाँ रो रहा, कौन यहाँ सो रहा
देख ले अपनी निगाहों से   । 

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