बाड़ Read Count : 141

Category : Poems

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रिमझिम शुरू हुई बारिश ,फिर रौद्र लिया
देखते देखते सारा शहर डुब गया ।। 
कुदरत का यह कहर है ,चिजे सब तैर गयी 
अनाज़ न रहा जिनेको ,टूटकर दीवारें गयी
जाने गयी माल गया ,सपने बिखेर गयी
देखते देखते सारा घर बह गया  ।..... 
चहू ओर कोलाहल, चीखे़ मौत की
धारा के बीच उलट गयी कश्ती
यहाँ न चली इन्सान की कोई हस्ती
बहता पानी भेद सारे निगल गया ।..... 
इस बाड़में बह गयी, कितनोंकी किस्मत
जातपात बह गयी, जिंदा हुई इन्सानियत
मामुली इन्सान और जवान कर रहे मदत
पानी सबका रंग, एक बनाकर गया।..... 
छोटा न कोई बड़ा, जो मिला ले गया
इन्सान को एक बड़ा सबक दे गया
सबसे उपर अच्छाई सिखाकर गया
फिर आउंगा भविष्य में समझाकर गया।..... 

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