
बाड़
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Category : Poems
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रिमझिम शुरू हुई बारिश ,फिर रौद्र लियादेखते देखते सारा शहर डुब गया ।।कुदरत का यह कहर है ,चिजे सब तैर गयीअनाज़ न रहा जिनेको ,टूटकर दीवारें गयीजाने गयी माल गया ,सपने बिखेर गयीदेखते देखते सारा घर बह गया ।.....चहू ओर कोलाहल, चीखे़ मौत कीधारा के बीच उलट गयी कश्तीयहाँ न चली इन्सान की कोई हस्तीबहता पानी भेद सारे निगल गया ।.....इस बाड़में बह गयी, कितनोंकी किस्मतजातपात बह गयी, जिंदा हुई इन्सानियतमामुली इन्सान और जवान कर रहे मदतपानी सबका रंग, एक बनाकर गया।.....छोटा न कोई बड़ा, जो मिला ले गयाइन्सान को एक बड़ा सबक दे गयासबसे उपर अच्छाई सिखाकर गयाफिर आउंगा भविष्य में समझाकर गया।.....
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