जब हम थे मुस्कुराते .. Read Count : 103

Category : Poems

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जब हम थे मुस्कुराते ,
दिल खोल के ख़ुशियाँ अपनी सुनाते ,
ज़माना हो गया अब तो ,
अब तो देख सुन के मुश्कुराते ,
सिकवा नही मुशकुराने का ,
वो तो दूसरा कुछ ओर ना समझ ले ,
इस लिए मुस्कुराहट छुपाते ,
मुस्कुरा क्या देते एक बार ,
जलने लगती ये दुनिया हर बार ,
जलने पर भी दर्द होता है ,
और क्यों दर्द हो किसी को ,
इशलिये दर्द तो दर्द अब ,
हम तो जिंदगी में बची खुची ,
कुछ मुस्कुराहटें भी छुपाते ,

छोटे ही अच्छे थे हम ,
जब चाहते किलकारियाँ मारते ,
चिड़ियों की तरह हर दिन चहचहाते ,
पर अब क्या ज़श्न या तरक़्क़ी ,
रोज दुसरो के लिए ही मुस्कुराते,
दुसरो के लिए ही रोते  गाते ,
नही पड़ना था इस जंजाल में ,
कब मुस्कुराना कब नही के बवाल में,
नही चाहते हर दिन इस तरह ,
इशलिये अब हम नही  मुस्कुराते   !!

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