जब हम थे मुस्कुराते ..
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Category : Poems
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जब हम थे मुस्कुराते , दिल खोल के ख़ुशियाँ अपनी सुनाते , ज़माना हो गया अब तो , अब तो देख सुन के मुश्कुराते , सिकवा नही मुशकुराने का , वो तो दूसरा कुछ ओर ना समझ ले , इस लिए मुस्कुराहट छुपाते , मुस्कुरा क्या देते एक बार , जलने लगती ये दुनिया हर बार , जलने पर भी दर्द होता है , और क्यों दर्द हो किसी को , इशलिये दर्द तो दर्द अब , हम तो जिंदगी में बची खुची , कुछ मुस्कुराहटें भी छुपाते , छोटे ही अच्छे थे हम , जब चाहते किलकारियाँ मारते , चिड़ियों की तरह हर दिन चहचहाते , पर अब क्या ज़श्न या तरक़्क़ी , रोज दुसरो के लिए ही मुस्कुराते, दुसरो के लिए ही रोते गाते , नही पड़ना था इस जंजाल में , कब मुस्कुराना कब नही के बवाल में, नही चाहते हर दिन इस तरह , इशलिये अब हम नही मुस्कुराते !!
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