Category : Poems
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दिलो की किस्ती पर आयी थी एक ख्वाब बन के , वक्त को भी पीछे छोड़ दिया आई थी दिलो की धड़कन की आवाज बन के । खुद ऊपर उठी और मुझे भी उठना सिखा दिया , समुद्रर की लहरों में भी उसने महल बना दिया। क्या ज़िद थी उसकी निगाहों में, बड़ी कशिश थी उसकी अदाओं में , चेहरे पर मुस्कान लिए छोट घुंघराले बाल लिये। आई थी दिलों की किस्ती पर एक ख्वाब बन के वक्त को भी पीछे कर दिया...................
मेरे जिन्दगी के पन्नों को,
समझ नहीं पायी ऐसे ही आयी थी, आंधियों की तरह जिन्दगी में ख्वाब बन के,। फिर चली गई मुझे उदास कर के । दिलों की किस्ती पर आयी थी एक ख्वाब बन के वक्त को भी पीछे कर दिया..............
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