
झूठी खुशी.....
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Category : Poems
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खुशी झलकती है हमेशा आँखो से हमारी
लोग सोचते है, बोहोत खुश है हम
क्या जाने वो लोग,
कि कितने टुटे हुए है, अंदर से हम।।
सबकी खुशी को तबज़्ज़ो देते है हम
और अपनो के साथ झूठ में ही सही पर
बाहर से खुश तो रहते है हम।।
गम बयाँ करने कि फितरत नही है हमारी
और खुशी के नकाब के पीछे
गम देखने की लोगो को फुरसत नही है ।।
लोग मन हल्का करने के लिये रोया करते है , पर
कमबख्त हमारी आँखो से एक आँसू तक भी नही टपकते है ।।
लोग कहते है,
बडे मजबूत होते है, वो लोग जिनकी आँखो से आँसू नही आते हैं।
पर हम कहते,
बडे मजबूर होते वो लोग जिनकी आँखे कभी नम नही होती।।
बाहरी खुशी देखकर अंदाजा लगा लेते है, लोग
पर उन्हे क्या पता अंदर तो गम की मशाले जल रही है।।
चाहते है, रोये एक दिन फुरसत में बैठकर पर
क्या करे रोने की फितरत ही नही है हमारी ।।
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