काश ये मुमकिन होता Read Count : 109

Category : Diary/Journal

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काश ये मुमकिन होता,  मैं इस जहान को अपनी मुठ्ठी में कैद कर पाती तो मैं इस चांदनी रात में बेख़ौफ़ इधर से उधर घूमता करती।।


 काश ये मुमकिन होता कि, मैं इस जहान को अपनी मुठ्ठी में कैद कर पाती तो मैं खुले आसमान में पंख लगाकर बादलों सी उड़ा करती।।


 काश ये मुमकिन होता‌ कि,  मैं इस जहान को अपनी मुठ्ठी में कैद कर पाती तो मैं ओंस की बूंदों की तरह किसी भी फूल-कली पर ठहर जाती।।

 

काश ये मुमकिन होता कि मैं इस जहान को अपनी मुठ्ठी में कैद कर पाती तो मैं पंख फैलाकर  दूर कहीं निकल जाती। 


 काश ये मुमकिन होता कि मैं इस जहान को अपनी मुठ्ठी में कैद कर पाती तो मैं रास्ता भटक जाने पर कहीं भी अपना घोंसला बना लेती।। 


काश ये मुमकिन होता कि मैं इस जहान को अपनी मुठ्ठी में कैद कर पाती।।

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