कड़वी सच्चाई 😢😕😔 Read Count : 526

Category : Poems

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कभी कभी सोच के डर लगता है,
 क्या होगा उनका जिन्होंने 
अभी तक दर्द झेलना ही नहीं सीखा|
  थोड़ी हंसी आती है उनपर
 जिन्होंने मस्ती के अलावा कुछ किया ही नहीं|
 और थोड़ी चिंता सताती है ,
उन माँ को देखकर 
जिन्होंने रोटी सेकते-सेकते
अपने हाथ जला लिए 
फिर भी मुँह से उफ़ न निकला|
 उन पिता को देखकर 
जिन्होंने अपने हाथ घिस लिए
 बोझ उठा-उठाकर|
लेकिन बड़ा दुःख होता है 
जब उन्हें पता चलता है,
अपने बेटों की बदमाशियों के बारे में,
 तो जैसे उनसे हंसने का मौका ही छीन लिया जाता |
 बड़े  खुसनसीब है वो
 जिनकी बेटियां है 
क्योंकि लड़के तो नालायक निकल ही जाते है || 
यह व्यंग्य है मेरा 
उन पथरदिल बेटों पर 
जिन्होंने कभी अपने माँ-बाप की
 आँसू  पोछे ही न हो ||
कभी जमाना हुआ करता था 
जब घर से लडकियां पहले विदा होती थी,
 पर आजकल तो अपनी मौज के लिए 
लड़के ही पहले घर से चले जाते है||
 मगर ये जानकर ख़ुशी भी होती है,
 की कुछ ऐसे भी बच्चे है 
जिन्हे अपने माँ-बाप की,
मेहनत का अंदाजा है
और उनकी ख़ुशी के लिए 
अपनी ख़ुशी त्याग कर सकते है|
 बस दुःख इसी बात का है की
 ऐसे लोग मिलते बहुत कम है ||
 बहुत भावुक हो जाता हूँ 
ये देखकर की जो दर्द देते है 
उनको भी उतना प्यार मिलता है
 जितना उन अच्छे बच्चें को||
 कुदरत का भी क्या खेल है 
जिन्होंने माँ-बाप को बनाया 
वो माँ-बाप जो अपने बच्चों की
आँखों में आँसू  देख नहीं सकते 
और वही बच्चे अपने माँ-बाप की
 आँसू पोंछ नहीं सकते|| 
कब आएगा उनको समझ में 
 अपनी माँ की ममता
 और अपने पिता की मेहनत का अंदाजा|
 ये भी क्या दुनिया है 
जिसने बेटों में भी अंतर कर दिया 
एक को लायक और दूसरे को 
नालायक बना दिया ||

A poem by Aniket Raj

Comments

  • plzz comment about the poem

    Sep 20, 2018

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