कड़वी सच्चाई 😢😕😔
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Category : Poems
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कभी कभी सोच के डर लगता है, क्या होगा उनका जिन्होंने अभी तक दर्द झेलना ही नहीं सीखा| थोड़ी हंसी आती है उनपर जिन्होंने मस्ती के अलावा कुछ किया ही नहीं| और थोड़ी चिंता सताती है , उन माँ को देखकर जिन्होंने रोटी सेकते-सेकते अपने हाथ जला लिए फिर भी मुँह से उफ़ न निकला| उन पिता को देखकर जिन्होंने अपने हाथ घिस लिए बोझ उठा-उठाकर| लेकिन बड़ा दुःख होता है जब उन्हें पता चलता है, अपने बेटों की बदमाशियों के बारे में, तो जैसे उनसे हंसने का मौका ही छीन लिया जाता | बड़े खुसनसीब है वो जिनकी बेटियां है क्योंकि लड़के तो नालायक निकल ही जाते है || यह व्यंग्य है मेरा उन पथरदिल बेटों पर जिन्होंने कभी अपने माँ-बाप की आँसू पोछे ही न हो || कभी जमाना हुआ करता था जब घर से लडकियां पहले विदा होती थी, पर आजकल तो अपनी मौज के लिए लड़के ही पहले घर से चले जाते है|| मगर ये जानकर ख़ुशी भी होती है, की कुछ ऐसे भी बच्चे है जिन्हे अपने माँ-बाप की, मेहनत का अंदाजा है और उनकी ख़ुशी के लिए अपनी ख़ुशी त्याग कर सकते है| बस दुःख इसी बात का है की ऐसे लोग मिलते बहुत कम है || बहुत भावुक हो जाता हूँ ये देखकर की जो दर्द देते है उनको भी उतना प्यार मिलता है जितना उन अच्छे बच्चें को|| कुदरत का भी क्या खेल है जिन्होंने माँ-बाप को बनाया वो माँ-बाप जो अपने बच्चों की आँखों में आँसू देख नहीं सकते और वही बच्चे अपने माँ-बाप की आँसू पोंछ नहीं सकते|| कब आएगा उनको समझ में अपनी माँ की ममता और अपने पिता की मेहनत का अंदाजा| ये भी क्या दुनिया है जिसने बेटों में भी अंतर कर दिया एक को लायक और दूसरे को नालायक बना दिया || A poem by Aniket Raj