Poem :- ऐसा है कुछ मेरा भाई
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Category : Poems
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👱 ऐसा है कुछ मेरा भाई 👱 क्या बताऊँ मैं तुम्हे अपने भाई के बारे में, उसकी डांट में भी मुझे प्यार नजर आती है | और जब वो बड़ा सा भाषण मुझे देता है, तब पता नहीं क्यों थोड़ी हंसी आ जाती है| कभी कभी ऐसा लगता है जैसे वो मुझे हंसाने के लिए ही डांटता है क्योंकि उसे पता होता है की, उसकी डांट का मुझ पर कोई असर नहीं होता है| ऐसा है कुछ मेरा भाई || मेरी गलती को छिपाने के लिए, वो गलती न कर भी, गलती कुबूल कर लेता है और मैं उसे देखते ही रह जाता| बचपन की बातें कभी कभी याद आ जाती है, वो साथ में मस्ती करना, दुसरो को उल्लू बनाना और तो और वो फायदे वाली बातें करना| गलती दोनों साथ करते थे, लेकिन सुनता था वो अकेले कभी कभी तो सोच में पर जाता हूँ, की वो डांट से मुझे बचा कैसे लेता था| ऐसा है कुछ मेरा भाई || चाहे चोट उसे ही क्यों न लग जाये, उसने हमेशा मेरी रक्षा की हर वादों की उसने निभाया मुझे जीने का मकसद सिखाया, मेरी हर छोटी-छोटी गुणों को उसने बड़ा बनाने की कोशिश की| मेरी हर इच्छाएं को उसने, बिना मांगे ही पूरा किया मुझे बुरों से बचाने वाला, और मेरी हर सपने को पूरी करने वाला| ऐसा है कुछ मेरा भाई|| थोड़ा शर्माने वाला, और सबको हंसाने वाला | हर किसी को एक सामान देखने वाला, और कभी हार न मानने वाला | सबकी चिंता करने वाला, और सबको खुश देखने वाला | ऐसा है कुछ मेरा सीधा-साधा भाई || A poem by Aniket Raj.