Poem :- ऐसा है कुछ मेरा भाई Read Count : 109

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👱 ऐसा है कुछ मेरा भाई 👱

क्या बताऊँ मैं तुम्हे 
अपने भाई के बारे में,
उसकी डांट में भी मुझे 
प्यार नजर आती है | 
और जब वो बड़ा सा भाषण मुझे देता है,
 तब पता नहीं क्यों थोड़ी हंसी आ जाती है|
 कभी कभी ऐसा लगता है जैसे 
वो मुझे हंसाने के लिए ही डांटता है 
क्योंकि उसे पता होता है की,
 उसकी डांट का मुझ पर कोई असर नहीं होता है| ऐसा है कुछ मेरा भाई ||

मेरी गलती को छिपाने के लिए,
 वो गलती न कर भी, गलती कुबूल कर लेता है और मैं उसे देखते ही रह जाता|
 बचपन की बातें कभी कभी याद आ जाती है,
वो साथ में मस्ती करना, दुसरो को उल्लू बनाना और तो और वो फायदे वाली बातें करना|
 गलती दोनों साथ  करते थे,
 लेकिन सुनता था वो अकेले 
कभी कभी तो सोच में पर जाता हूँ,
की वो डांट से मुझे बचा कैसे लेता था|
ऐसा है कुछ मेरा भाई ||

चाहे चोट उसे ही क्यों न लग जाये,
उसने हमेशा मेरी रक्षा की 
हर  वादों की उसने निभाया 
मुझे जीने का मकसद सिखाया,
मेरी हर छोटी-छोटी गुणों को
 उसने बड़ा बनाने की कोशिश की|
 मेरी हर इच्छाएं को उसने,
बिना मांगे ही पूरा किया 
मुझे बुरों से बचाने वाला,
और मेरी हर सपने को पूरी करने वाला| 
ऐसा है कुछ मेरा भाई||

 थोड़ा शर्माने वाला,
और सबको हंसाने वाला |
 हर किसी को एक सामान देखने वाला,
और कभी हार न मानने वाला |
सबकी चिंता करने वाला,
और सबको खुश देखने वाला |
ऐसा है कुछ मेरा सीधा-साधा भाई ||
A poem by Aniket Raj.

Comments

  • Hen

    Aug 20, 2018

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