"चलता चला जा"
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Category : Poems
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मुसाफिर तू चलता चला
जिन्दगी बदलता चला जा
गमो की सुर्खियों को भूलाता चला जा
सुखो का कारवाँ सजाता चला जा
मुसाफिर तू चलता चला जा।
इरादों के इदारो को बनाता चला जा
सपनो की लरीयो को संजोता चला जा
मुसाफिर तू चलता चला जा
जिन्दगी बदलता चला जा।।
मुकामो को मुकम्मल करता चला जा
धरती से चाँद तक अपना मुका बनाता चला जा
मुसाफिर तू चलता चला जा।
मानवता के अस्त्र से,
भृष्ट कुरीतियो को मिटाता चला जा
धरती को वसुन्धरा बनाता चला जा
मुसाफिर तू चलता चला जा
जिन्दगी बदलता चला जा।।
जातियों के बन्धनो को तोडता चला जा
मानव को मानव से जोडता चला जा
ऐसा भारत तू बनाता चला जा
मुसाफिर तू चलता चला जा
जिन्दगी बदलता चला जा।।
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