कविता-- अपने सपने By Aniket Raj... Read Count : 383

Category : Poems

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 अपने सपने कितने ऊँचे 
कितने अच्छे,कितने सच्चे|
रोज-रोज है आता सपना 
कभी रुलाता,कभी हंसाता||
सपना है सबका अपना 
अपना सपना सबसे अलग|
कहीं-कभी भी ये आ जाता
 रात-दिन कभी ये नहीं देखता||
 मम्मी कहती सपने देखो 
पापा कहते सपने सच करो|
कभी सपने अधूरे छूट जाते 
उसे सोच हम बहुत पछताते||
सपने तो सबको आते 
कुछ उसे पूरा करते तो 
कुछ उसे छोड़ जाते|
लेकिन फिर भी सपने आना बंद नहीं होते ||
कभी सपने में हीरो बन जाते 
तो कभी सपने में भूत मिल जाते |
कभी सपने देख नींद में हँसते 
तो कभी उठ कर हम बहुत रोते ||
कुछ सपने हम 
दिन-भर सोचते |
 कभी सपने में डूब जाते 
तो कभी उसे पूरा करते 
हम मर जाते || 
                  A poem by Aniket Raj

Comments

  • Aniket Raj

    Aniket Raj

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    Apr 20, 2018

  • Apr 20, 2018

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