
कविता-- अपने सपने By Aniket Raj...
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Category : Poems
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अपने सपने कितने ऊँचे
कितने अच्छे,कितने सच्चे|
रोज-रोज है आता सपना
कभी रुलाता,कभी हंसाता||
सपना है सबका अपना
अपना सपना सबसे अलग|
कहीं-कभी भी ये आ जाता
रात-दिन कभी ये नहीं देखता||
मम्मी कहती सपने देखो
पापा कहते सपने सच करो|
कभी सपने अधूरे छूट जाते
उसे सोच हम बहुत पछताते||
सपने तो सबको आते
कुछ उसे पूरा करते तो
कुछ उसे छोड़ जाते|
लेकिन फिर भी सपने आना बंद नहीं होते ||
कभी सपने में हीरो बन जाते
तो कभी सपने में भूत मिल जाते |
कभी सपने देख नींद में हँसते
तो कभी उठ कर हम बहुत रोते ||
कुछ सपने हम
दिन-भर सोचते |
कभी सपने में डूब जाते
तो कभी उसे पूरा करते
हम मर जाते ||
A poem by Aniket Raj

