उसकी शादी में,
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जब वो मिली थी तो, इज़हार करने मुश्किल नही हुई, पर बुरे वक़्त की शुरुआत ही वहां से हुई, प्यार हुआ, इज़हार हुआ, मुलाकाते भी हुई और फिर?, फिर दर्द, मतलब मेरा बुरा वक़्त सामने आया, उसकी शादी की खबर आई, और एक दिन वो शादी का कार्ड देने आई, "तकलीफ तब भी नही हुई थी जब थमाया था कार्ड उसने हाथो में, मेरा अश्क जो नज़र आया था उसकी आँखों में," वादे के अनुसार पहुच गया था अपनी ही बर्बादी पर, अब तो दुल्हन का था इंतज़ार उसकी ही शादी पर, वो आई नज़ाकत से चलते हुए नज़रो को झुकाये हुए, और स्टेज पर उसके होने वाले पति ने जब हाथ बढ़ाया, मेरा दिल अचानक बहुत खबराया, जब हाथ बढ़ा कर उसको फूलो का हार पहनाया, देख रहा था मैं, अब भी उसकी आँखों को, ग़ायब था उसकी इस नयी दुनिया से में, अब हार पहनने को उसने था हाथ बढ़ाया, तब हुई थी बहुत तकलीफ जब उसने हार पहनाया था, जब जय माला के बाद फोटोशूट के लिए उसके पति ने कमर पर हाथ लगया था। टूट गया था बांध सब्र का इसलिए भरी महफ़िल को छोड़ मैं आया था। पर हां, खाना खा कर आया था। जतिन शर्मा
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