Duaa
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Category : Poems
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शराफत खून में भर दे, दिलों को तू वफ़ा दे दे। हमारी नस्ल को या रव, तू शर्म और हया दे दे। नस्ल-ए-अदब बर्बाद न हो, गुलशन ए निफ्रासत वीरान न हो। इस गुमराह कौम को या रब हिदायत दे दे। वतन नशीनों को फिर वो विरासत दे दे। अहले-हक़ बेनाम-ओ-निशान न हो, मेरे वतन की आबरू का जवाल न हो इस अंजुमन को तू तक्वा-ओ-रिसालत दे दे। मेरे वतन को तू तरक्की-औ-खुशहाली दे दे। बुज़दिल यह कौम मगरूर न हो, मुत्तकीं अब ज़लील न हो, इस शम्-ए-फरोज़ा की औधरी शाम न हो आलिम-फाजिल बदनाम न हों हमारी कुर्बानियाँ-परस्तिों नाकाम न हों। खन म हमार हरारत दे दे बाजुओं मे मोमिन के, ताकत दे दे। उजड़े इस गुलिस्ताँ में बहार-ओ-ज़ीनत दे दे। या इलाही हमें नेक सीरत दे दे। सैयद मोमिन 'इकबाल रामपुरी'
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