मेरा अंशुमन - 1 Read Count : 63

Category : Stories

Sub Category : Romance
मै कुछ दिन पहले  मेले में उस औरत।से मिली थी । मुझे  बात का यकीन नहीं था कि उसकी कहीं हुई बात में ज़रा भी सच्चाई होगी पर फिर भी मैं लिफ्ट की पर बढ़ी और छत और अपने ऑफिस के छत पर पहुंची । जैसे ही मैंने छत  दरवाज़ा खोला वैसे ही ठंडी हवा  मेरी त्वचा को छुआ पर मै उस दरवाजे से बाहर निकली । और अपनी नज़रें दौड़ाई - कोई लड़का बिल्डिंग  नीचे झांक रहा था। उसने पीछे मुड़कर मेरी ओर देखा और मैं उसे देखकर घबरा सी गई । क्यूंकि जब मै इससे पहली दफा मिली थी तब ही उसे देखकर मुझे इस बात का एहसास हुआ था कि मैं अपनी ज़िन्दगी में ऐसा इंसान चाहती हूं । पर मैं ऐसा इंसान चाहती थी ना की यह इंसान। क्युकी यह तो किसी और से प्यार करता है ।
वह मुझे सवाल भारी नजर से देख रहा था कि मैं कौन हूं और यहां क्या कर रही हूं । मुझे लगा मुझे पीछे कदम लेकर यहां  चले जाना चाहिए । और मैंने अपने कदम पीछे की पर लिए और उसकी ओर  नजर हटाते हुए पीछे मुड़ी पर अचानक मेरे मन  खटका लगा कि वह  ऑफिस का। हैभी नहीं यह ऊपर क्या कर रहा है ? कहीं यह कल्पना के चक्कर में यहां जान देने...
मै रुक गई और पीछे मुड़ी । मेरे मुंह। से निकला "आप यहां छत पर क्या कर रहे हो?"
वह मेरे जाने पर दुबारा नीचे देख रहा था । मेरे सवाल पर उसने मेरी तरफ सवाल भारी नजर से देखा, की तुम क्यों पूछ रही हो? तुम्हे क्या मतलब?   दुबारा कहो मैंने नहीं सुना ।
मैं एक पल के लिए रुकी और फिर बोली "क्या तुम ठीक हो? क्या सब कुछ ठीक है ?"
लड़का - हां, but who are you?
मै बोली - "मैंने आपको देख था रिया की वजह से आप वोह..."
लड़का - आप रिया को जानती हो ?
मैं - we are colleagues
उसने सिर हिलाया और बाहर आने देखने लगा ।
उसके कुछ जवाब न देने पर मै पलटी और दुबारा दरवाजे की ओर जाने लगी ।
अंदर पहुंच के मै दीवार के पीछे छुपी और वाणी को मेसेज किया की मुझे कोई।भी छत प्र नहीं दिखा और वह फॉर्च्यून टेलर लगता है फ्रॉड थी ।
मै यह टेक्स्ट उसे भेजने ही वाली थी की मै रुकी और बाहर झांका तो वह लड़का दीवार पर खड़ा नीचे देख रहा था, मेरे तो होश ही उड़ गए । मै बाहर आई और डरकर कहा "रुको अंशुमन"
वह अपना नाम।सुनकर लड़खड़ा गया और मैं भागती हुई उसके पास पहुंची उसकी बाह को खीचा और वह मेरे ऊपर ही गिर पड़ा मै मेरे सिर ज़मीन से टकराया उसपर अंशुमन के सिर पिछ्वाड़ा भी मेरे नाक पर आ गिरा और अब मुझे उसकी।चिंता।होने की बजाए पूरा ध्यान अपने नाक  इस  बर्दाश्त कर पाने वाले दर्द।में था मैं अपना नाक पकड़कर लेती थी और मेरी आंखों में से अपने आप ही आंसू निकल गए । थोड़ी देर में वह उठा और परेशान होकर पूछने लगा किउझे क्या हो रहा है और क्या में ठीक हूं? थोड़ी देर में।मुझे एहसास हुआ कि नाक। कदर्ड बहुत ज़्यादा था इसलिए शायद मुझे पता।नहीं चला लेकिन मेरी कोहनी में भी दर्द हो गया है । अंशुमन ने मुझे बैठने में मदद की।  धीरे धीरे मेरा दर्द काम हुआ तो मैंने आखिरकार उससे पूछा, "क्या तुम ठीक हो?"
अंशुमन - "हां मैं ठीक हूं पर क्या तुम ठीक हो ?"
माया - "हां पर तुम ऊपर चढ कर कर क्या रहे थे?"
अंशुमन - "मैं वोह नहीं कर रहा था ।"
माया - "वोह क्या ?" 
मैंने उसकीआंखों में देखते हुए कहा, वोह मेरे काफी करीब था । एक ही पल में मैंने उसकी चमक। से भरी हुई पर मायूस सी आंखें देखी जो हल्की सी गीली थी । एक ही पल में यह सवाल आया की मैं ऐसे इंसान कैसे नहीं प्यार कर सकती । 
पर फिर मुझे यह ठीक नहीं लगा तो मैंने अपने नज़रें थोड़ी नीची करी तो उसके होंठो पर नजर पड़ी जो किसी ना जाने क्यों मुझे किसी गुलाब की पंखुड़ी जैसे लगे । मुझे फिर ठीक नहीं लगा मैंने उसके गाल की तरफ देखा पर अजीब बात थी कि मुझे उसका हर एक हिस्सा खूबसूरत लग रहा था । 
अंशुमन - मैं तो यूं ही नीचे देख रहा था । 
माया - यूं ही ? वोह कितना ख़तरनाक है क्या तुम्हे नहीं पता ?
वह थोड़ा मुस्कुराया और पीछे हटकर खड़ा हुआ और मुझे अपना हाथ दिया ताकि मैं उठ सकु । 
मैंने उसका हाथ पकड़ा और उठ खड़ी हुई । मैंने  हिचकिचाते हुए उससे फिर पूछा - "क्या रिया की वज़ह से?"
अंशुमन - "लगता है रिया और मैं बहुत फेमस हो गए हैं पुरे ऑफिस में देखोना, जिन्हें मै जानता नहीं हूं वोह भी मुझे जानते है । बाई द वे आपका नाम क्या है ?'
माया - माया ।
अंशुमन - "हेल्लो माया । Glad to meet you."
अंशुमन ने अपना हाथ आगे बढाया । माया ने अंशुमन के हाथ को देखा फिर उसकी आंखों को देखा । अंशुमन को लगा वोह उसके साथ हांथ नहीं मिलाना चाहती है पर माया ने उसका हाथ पकड़ा और ढीला छोड़ अंशुमन के करीब बढ़ी हाथ को उसके कमर के पीछे ले गई और हल्का सा लिपट गई। 
अंशुमन को समझ नहीं आया कि क्या हो रहा है । माया ने अपना सिर अंशुमन के सीने में रखा और बोली - मुझे नहीं पता कि तुम असल में क्या सोच रहे थे, तुम्हे शायद लगा होगा कि यह दर्द बहुत ज़्यादा है मैं सह नहीं सकता । क्या मैं नीचे देखकर पता लगाए की वोह एहसास कैसा होता है जब कोई दर्द के मारे अपनी जान दे देता है, मैं जानना चाहता हूं कि क्या होगा ? तो इस बात का ध्यान रखो कि इस दुनिया में और लोग है जिन्हे तुम्हारी जरूरत है, प्यार में इतने अंधे मत बनो, की तुम दूसरो कि अहमियत और अपनी अहमियत को भूल जाओ, कोई तुम्हारा इंतजार करता है इसलिए तुम उस इंसान के लिए प्लीज़ लौट जाओ और अपने होश में आओ ।" अंशुमन हैरानी से पर गौर से माया की बात सुनता रहा, माया की बाते अंशुमन  दिल में भरी हुई इस आग। के तूफ़ान पर बारिश की ठंडी बूंदों तरह करार दे रही थी, पूरी तरह नहीं पर फिर भी दे रही थी, सब कुछ थम गया था, धीरे धीरे इस हल्की सी बरसात धरती की जिस जगह पे पड़ती, वहां धुएं की तरह दर्द को अपने साथ ले जाती, आग पूरी तरह नहीं बुझी है पर अगर यह बरसात देर तक चलती रही चाहे यह बूंदे कितनी कमजोर हो वोह इस जंगल को शायद बचा लेगी।
माया ने अपनी बाहों को ढीला छोड़ा और पीछे हटने को हुई। लेकिन अचानक  अंशुमन ने अपने बाहों में पकड़कर माया को अपने आप से दुबारा चिपटा लिया । माया को समझ नहीं आया कि वह क्या करे और अंशुमन क्यों ऐसा कर रहा है, माया ने हमदर्दी से अंशुमन को बांहों में लिया था पर अंशुमन की पकड़ कुछ और ही बयां कर रही थी ।
 दूसरी ओर अंशुमन नफरत, प्यार और गुस्से भरी नज़रों से दरवाजे पर खड़ी रिया को देखता रहा । और रिया अंशुमन को  हाल में देखकर कुछ पल तक देखकर वहां से हैरान होकर चली गई ।

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