मोहब्बत Read Count : 103

Category : Poems

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ये आपकी बेरुखी समझे या नादानियाँ
की आज फिर दिल के जज़्बात
आंखों के रास्ते बह रहे हैं ।
आप से मोहब्बत हमें कितनी है
ये हम कह नही सकतें
बस यूँ समझ लीजिए कि 
आप के लिए ही जी रहे है ।
यूँ ना रूसवा हुआ करिये
हमसे सहा नही जाता
हर दर्द से बढ़कर है बेरुखी आपकी
न जाने हैम कैसे कैसे सह रहे है ।

Comments

  • superb dear

    Nov 28, 2017

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