मोहब्बत
Read Count : 103
Category : Poems
Sub Category : N/A
ये आपकी बेरुखी समझे या नादानियाँ की आज फिर दिल के जज़्बात आंखों के रास्ते बह रहे हैं । आप से मोहब्बत हमें कितनी है ये हम कह नही सकतें बस यूँ समझ लीजिए कि आप के लिए ही जी रहे है । यूँ ना रूसवा हुआ करिये हमसे सहा नही जाता हर दर्द से बढ़कर है बेरुखी आपकी न जाने हैम कैसे कैसे सह रहे है ।