पापा की बेटी Read Count : 119

Category : Poems

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छोटी सी  .......नादान सी
अपने पापा की बेटी थी मैं।

एक दिन पापा ने कहा मुझसे .....बेटा इस दुनिया मे दो तरह के इन्सान होते है। कुछ अच्छे और कुछ बहुत बुरे....
पापा उस दिन कुछ सीखाना चाहते थे मुझे....मगर मै अपने ही खेल में घूम थी।
उनकी बातों की गहराई को समझ ना सकी....
पुछा पापा से बुरे लोग मतलब रावन पाप

वो मेरे चहरे की मुस्कान देखकर चुप हो गये ।
कुछ पल के लिये सोचने लगे ......फिर उनने कहा 

बेटा ये दुनिया बहुत अच्छी हैं
बहुय प्यारी हैं
हजारों खुशियां मौजुद हैं यहां
कोई इन्सान इस दुनिया मे बुरा जनम नही लेता
बस किसीको हालात बुरा बनती हैं
तो किसीको उसकी सोच

बेटा अगर एक बुरे इन्सान की सोच को बदल दी जाये ना
तो वो भी अच्छाई की राह पे चलने लगता हैं

इस दुनिया से कभी तू नफरत मत करना
हर इन्सान मे खुद को तलाशना
जिस ज़िन्दगी के सफर को तुने शुरु किया हैं
उस सफर के राह मे बहुत से मोढ़ आयेंगे
बहुत से लोग मिलेंगे तुझे
तु सबकी पहचान रखना

कुछ तेरा इस्तेमाल करेंगे
कुछ तेरा साथ देंगे

मदद तु सबकी करना
सहारा तु सबका बनाना
पर अपना हाथ सिर्फ उसकी तरफ ले जाना
जिसमे उसे थामे रखने की शक्ती हो

ये बातें तेरे समझ से परे हैं
मगर इनका अपना एक अलग ही मह्तव हैं
कैसे बताये तुझे

बागवान करे कभी तेरी आखों मे मोती ना हो।।

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