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युँ जीए जाता हुँ
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Category : Poems
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#यूँ जीए जाता हुँ जिन्दगी की राह में युँ जीए जाता हुँ । गमे उल्फत में जाम पिए जाता हुँ । न जाने कौन सी राह चुन ली है हमने । बस तुम्हारी यादों के सहारे जीए जाता हुँ । जिन्दगी की राह में युँ जीए जाता हुँ । न राग है न द्वेष है। न चाह है न क्लेश है। जीवन कि पग पग को देखो। यही आशा और अभिलाषा है तुझसे। भुला न जाओ तुम हमको। हर पल तुझसे ही दुआयें करता हुँ । जिन्दगी की राह में युँ जीए जाता हुँ । ये सुहानी राते हर रोज होती है। ये तारे भी हर रोज टिमटिमाते है। आज फिर वो अन्धीयारी रात होगी फिर वही सितारे चमकेंगे जमाना आज फिर से रंगीन होगा फिर वही अकेला एक चांद दिखेगा मौसम चाहे कितना भी रंगीन क्यूँ न हो रातो की तुम्हारी चंद लफ्ज़े सुनने को दिल बेताब होगा उन प्रेम भरी बातो मे खुद को खो कर खुद को खुद ही के बाहो मे समेट कर वो मधुर आवाजे फिर सुनने को ये दिल भी कहता धक-धक होगा ईच्छा जताते हुए इस दिल को रूक रूक कर मै शांत करता हुँ। ऐसे कोमल से दिल को अपने तुम्हारे करीब ला खुश पाता हुँ। जिन्दगी की राह मे युँ जीए जाता हुँ ।
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